जिस प्रकार एक विशाल पर्वत
शिखर मिट्टी के छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनता है। उसी तरह एक बहु मंजिला भवन भी असंख्या ईंटों का
परिणाम होता है। व्यक्तित्व के निखार में न जाने कितनी छोटी-छोटी बातों का योगदान होता
है। भुइयार धर्मशाला (कबीर आश्रम) ऋषिकुल हरिद्वार का निर्माण भी इन्हीं बातों का
परिणाम है। भुइयार धर्मशाला (श्री कबीर आश्रम) ऋषिकुल हरिद्वार का नया दो मंजिला भवन की स्थापना 28 अप्रैल
2010 दिन बुध्दवार को दयाराम सिंह
भामड़ा (मूलनिवासी- बाहुपुरा, बिजनौर), श्री जय सिंह एवं श्री करनपाल सिंह के करकमलों
द्वारा शिलान्यास कर किया गया। भुईयार धर्मशाला (कबीर आश्रम) वर्तमान में
उत्तराखण्ड राज्य के जनपद हरिद्वार के ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज के पास स्थित है। भुइयार
धर्मशाला (कबीर आश्रम) हरिद्वार की स्थापना करने हेतु श्री दयाराम सिंह एवं श्री जय
सिंह जी को समाज के उत्सवों में विद्वानों के विचारों से प्रेरणा मिली। समय समय पर
समाज के जलसे एवं उत्सवों में जाने से समाज के प्रबुध्द्जन इकठ्ठा हुए एवं आश्रम की
स्थापना के बारे में विचार विमर्श किया । इस
तरह के विशाल उत्सवों में समाज उत्थान के लिए विद्वानों द्वारा प्रचार हुआ तथा
अनेकों कार्यक्रम भी हुए।
इन उत्सवों में समाज के श्री दयाराम सिहं भामड़ा, श्री जय सिंह, श्री करणपाल सिंह समाज का गौरव को बढाने
वाले व्याख्यान से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भुइयार धर्मशाला हेतु हजारों रूपये
दान में दिये तथा श्री जय सिंह जी को श्री कबीर आश्रम धर्मार्थ ट्रस्ट (भुइयार
धर्मशाला) ऋषिकुल हरिद्वार का अध्यक्ष बना दिया गया।
दयाराम सिंह भामड़ा
बाहुपुरा (बिजनौर)
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