Sunday, August 18, 2024
संस्मरण कबीर जन्मोत्सव बिजनौर
संस्मरण: कबीर जन्मोत्सव बिजनौर
इस वर्ष जेयष्ठ माह की पूर्णिमा 22 जून 2024 को पड़ रही थी। प्रतिवर्ष जेयष्ठ माह की पूर्णिमा को ही सदगुरु कबीर साहेब जी का जन्मोत्सव पूरे देश में मनाया जाता है। इस वर्ष बिजनौर भुइयार समाज ने भी हरिद्वार की तर्ज पर बिजनौर शहर में कबीर जन्मोत्सव पर एक भव्य शोभायात्रा अर्थात प्रभात फेरी निकालने का विचार बनाया था। इसी कारण बिजनौर के युवा साथियों ने बहुत मेहनत कर पूरे जनपद बिजनौर में एवं आसपास के जनपदों में भी प्रचार प्रसार किया था। वैसे कबीर जन्मोत्सव तो पिछले 15 वर्षों से भुइयार समाज बिजनौर में मनाता आ रहा है। परंतु इस बार शोभायात्रा का कार्यक्रम प्रथम बार हो रहा था। कार्यक्रम की अनुमति प्रशासन से पहले ही ले ली गई थी। इस कार्यक्रम के अतिरिक्त एक कार्यक्रम ग्राम मुकीमपुर धारू उर्फ धारूवाला बिजनौर में भी था। जिसमें कबीर जन्मोत्सव के उपलक्ष में भुइयार धर्मशाला का उद्घाटन भी होना था। इन दोनों कार्यक्रमों की सूचना मेरे पास पहले से ही आ चुकी थी। इस कारण मैंने अपना मन बिजनौर के दोनों कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए बना लिया था। हालांकि कबीर जन्मोत्सव कार्यक्रम हरिद्वार में स्थित श्री कबीर आश्रम धर्मार्थ ट्रस्ट ऋषिकुल हरिद्वार में भी था, परंतु इस बार मन में था कि बिजनौर के दोनों कार्यक्रमों में सम्मिलित होकर शाम को हरिद्वार के कार्यक्रम में सम्मिलित हो जाऊंगा। 22 जून 2024 का दिन आ गया, मैं बिजनौर जाने के लिए उत्सुक था। हरिद्वार से सुबह जल्दी ही निकल जाना चाहता था, क्योंकि आजकल सप्ताहांत में हरिद्वार में आने वाले श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जमा हो रही थी। जिस कारण हरिद्वार में जाम की स्थिति बनी रहती है। मैं सुबह उठा और तैयार होकर अपनी गाड़ी से 7:00 बजे के आसपास शिवालिक नगर से बिजनौर के लिए निकल गया। मैंने एक बार तो सोचा कि जाम से बचने के लिए वाया रायसी बालावाली चला जाए, परंतु मैंने गूगल मैप पर हरिद्वार में जाम की स्थिति के बारे में सर्च किया, तो हरिद्वार में ट्रैफिक सामान्य था। कहीं-कहीं पर थोड़ा बहुत जाम था। मैंने निर्णय लिया कि हरिद्वार से हाईवे पर ही चला जाए। मैंने अपनी गाड़ी का स्टेरिंग हरिद्वार की ओर मोड़ दिया। मेरी गाड़ी कुछ ही देर में हाईवे पर फराटे भरने लगी। प्रेम नगर से श्रद्धानंद चौक तक कोई जाम की स्थिति नहीं थी। परंतु जैसे-जैसे मैं चंडीगढ़ घाट पुल की ओर बढ़ रहा था जाम की स्थिति बढ़ने लगी थी। एक बार तो मन में आया कि वाया हरिद्वार चलने का मेरा निर्णय गलत साबित हो गया। परंतु अब किया भी क्या जा सकता था? मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया। यह अच्छा रहा, कि ट्रैफिक रुका नहीं धीरे-धीरे चलता रहा और इस तरह चलते- चलते मैंने लगभग 20 मिनट में चंडीपुल को पार कर लिया। चंडीपुल पार करने के बाद जब मेरी गाड़ी चंडी रोप-वे के पास पहुंची, तो वहां पर भी जाम का सामना करना पड़ा। गनीमत यह रही कि जाम में अधिक देर इंतजार नहीं करना पड़ा। मैंने श्यामपुर पार कर लिया था। अब कोई जाम की स्थिति नहीं थी। मैंने अपनी गाड़ी को हाईवे पर दौड़ना शुरू कर दिया, क्योंकि मैं सोच रहा था कि कबीर जन्मोत्सव शोभायात्रा का जो समय आयोजिकों ने निर्धारित किया था वह 9:00 बजे का था, उस समय तक मैं बिजनौर पहुंच जाना चाहता था। साथ-साथ मेरा अनुभव था कि इस तरह के कार्यक्रम अक्सर समय पर नहीं होते। यह सोचकर मैंने अपनी गाड़ी सामान्य गति से चलानी जारी रखी। मैंने 8:30 बजे भागूवाला क्रॉस कर दिया, तथा नांगल पहुंचते-पहुंचते 9:00 बज चुके थे। मैंने जैसे ही चंदक रेलवे फाटक पर किया तो सामने दो बड़े-बड़े होर्डिंग जोकि कबीर जन्मोत्सव को विज्ञापित कर रहे थे दिखाई दिए। बड़े-बड़े होल्डिंग देखकर मन को अच्छा लगा कि अब धीरे-धीरे भुइयार समाज में जागरूकता आ रही है। मैं सुबह 10:00 से 10:15 बजे के आसपास बिजनौर पहुंच चुका था। मैं सीधा नुमाइश ग्राउंड चौराहे पर पहुंच गया। मैंने देखा चौराहे पर कोई हलचल नहीं थी। ट्रैफिक सामान्य चल रहा था, परंतु लाउडस्पीकर की आवाज आ रही थी जिसमें “भुइयार समाज जिंदाबाद” “कबीर साहेब अमर रहे” के नारे गुंजायमान थे। मैंने अंदाजा लगाया कि शोभायात्रा यहां से आगे जा चुकी है। मैं लेट तो हो गया ही था, फिर भी मैंने चौराहे पर खड़े एक पुलिस मैन से पूछा कि भाई आज जो कबीर जन्मोत्सव शोभायात्रा भुइयार समाज का प्रोग्राम था, वह कहां तक पहुंच गया है? उसने बताया कि अभी शोभायात्रा आगे नहीं गई है। सभी लोग नुमाइश ग्राउंड में एकत्रित हैं। मैंने अपनी गाड़ी को प्रदर्शनी मैदान की ओर मोड़ दिया। वहां पहुंचकर मैंने देखा कि अत्यधिक गर्मी के बावजूद भी भुइयार समाज के व्यक्ति हजारों की संख्या में वहां लगे पंडाल में एकत्रित थे। प्रदर्शनी मैदान के पंडाल में देखने को मिला कि पुरुषों के अतिरिक्त महिलाएं भी हजारों की संख्या में मौजूद थी। सभी के हाथों में संत कबीर साहिब एवं सतनाम लिखी झंडियां एवं गले में “कबीर साहेब की जय” लिखे सफेद रंग के पट्टे पड़े हुए थे। जो युवा साथी वहां पर मौजूद थे उन सभी ने “भुइयार समाज बिजनौर” लिखी, टी-शर्ट पहन रखी थी। पूरा प्रदर्शनी मैदान “भुइयार समाज जिंदाबाद” एवं “सतगुरु कबीर साहेब जी की जय” के नारो से गूंज रहा था। प्रदर्शनी मैदान में लगभग 20 से 25 ट्रैक्टर ट्राली जिन पर “भुइयार समाज जिंदाबाद” एवं सदगुरु कबीर साहेब जी द्वारा रचित दोहे लिखे, बैनर लगे हुए थे। लगभग इसी संख्या में चार पहिया वाहन भी थे, उन सब पर भी बैनर लगे हुए थे। मोटरसाइकिल भी सैकड़ो की संख्या में थी। मैं जब वहां पहुंचा तो सभी लोगों ने मेरा स्वागत किया और कहा कि आपका धन्यवाद आप हरिद्वार से चलकर यहां पहुंचे हैं। वहां उपस्थित जन समूह की मैंने कुछ वीडियो एवं फोटो लिए। शोभायात्रा का शुभारंभ जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सकेंद्र प्रताप जी द्वारा फीता काटकर किया गया। ब्रास बैंड शोभा यात्रा की और भी शोभा बढ़ा रहे थे। बैंड सतगुरु कबीर साहिब जी के रचित दोहों, साखियों आदि पर बजाए जा रहा था। शोभायात्रा प्रारंभ हो चुकी थी, क्योंकि मुझे धारूवाला गांव में भी जाना था, वहां पर भुइयार धर्मशाला का उद्घाटन होना था। वहां से भी मेरे पास आयोजक मंडल के फोन आ रहे थे। दोपहर के 11:00 बज गए थे। मैंने अपनी गाड़ी उठाई और चल दिया मंडावली गांव की ओर। बिजनौर शहर से कुछ दूरी पर जाने के बाद देखा कि सड़क बहुत खराब है। मैं आराम-आराम से अपनी गाड़ी चलाता हुआ मंडावली गांव में पहुंच गया। मंडावली गांव से धारूवाला गांव आधा किलोमीटर की दूरी पर था। मेरे पास बार-बार साथियों के फोन आ रहे थे, सड़क खराब होने के कारण रास्ते में समय भी अधिक लग गया था। मंडावली गांव पार करके मैं कुछ ही समय में धारूवाला गांव पहुंच गया। वहां पहुंचने पर सभी आयोजक बहुत खुश हुए और गाड़ी से उतरते ही फूल मालाओं से लाद दिया, साथ में आयोजक मंडल एवं दो ढोल वाले मेरे साथ-साथ “कबीर साहिब की जय” एवं “भुइयार समाज जिंदाबाद” के नारे लगाते हुए, मुझे मंच तक ले गए। मंच पर लोक दल पार्टी के जाने-माने नेतागण एवं भुइयार समाज के प्रबुद्ध जन विराजमान थे। मुझे वहां जाने पर पता चला कि मेरा नाम मुख्य अतिथि के लिए प्रस्तावित है। मंच पर आसीन सभी साथियों ने अपने उद्बोधन में श्री कबीर साहिब जी के जीवन पर प्रकाश डाला एवं उपस्थित जनसमूह से कबीर साहिब जी के बताएं मार्गों पर चलने का आह्वान किया। धारूवाला गांव के कार्यक्रम में भी काफी संख्या में लोग मौजूद थे। धर्मशाला के उद्घाटन के बाद भंडारे का कार्यक्रम था। वहां पर उपस्थित जनसमूह ने जिसमें गांव वाले लोग भी सम्मिलित थे, भंडारे का आनंद लिया। इसके बाद मैं वहां से वापस बिजनौर के लिए चल दिया। जब मैं बिजनौर पहुंचा, तो देखा शोभायात्रा भी राज मिलन बैंकट हॉल पहुंच चुकी थी। वहां पर भारी संख्या में भीड़ थी। सभी लोग अति उत्साहित थे, खासकर युवा वर्ग। एक-एक कर सभी प्रबुद्ध जनों के भाषण हो रहे थे। महंत ब्रह्म दास जी के प्रवचन के बाद समारोह का समापन किया गया। राज मिलन वेंकट हॉल के आस-पास रोड के दोनों ओर वाहनों की इतनी भीड़ थी, कि मुझे अपनी गाड़ी पार्क करने के लिए रेलवे फाटक के पास जाना पड़ा। आज के कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी भी काफी संख्या में थी। महिलाओं से बैंक्विट हॉल का आधा हिस्सा खचाखच भरा हुआ था, पैर रखने के लिए भी जगह नहीं थी। बैंकट हॉल के आधे हिस्से में पुरुष विराजमान थे वहां पर भी भीड़ अत्यधिक थी। पुरुषों के बैठने के लिए जगह नहीं मिल रही थी, तो अधिकतर पुरुष बाहर खड़े थे। समारोह में कई साथियों से मुलाकात हुई। सभी ने आज हुए कार्यक्रम के बारे में चर्चा करते हुए बताया, कि आज का कार्यक्रम बहुत ही भव्य था। युवा वर्ग बहुत उत्साहित था। आज इस समारोह में भुइयार युवा वर्ग का जोश देखने को मिला। समारोह संपन्न होने के बाद मुझे अब वापस हरिद्वार भी आना था, क्योंकि हरिद्वार के कबीर जन्मोत्सव कार्यक्रम में शामिल होना था। इस कारण मैंने विशाल जी से कहा कि मैं वापस हरिद्वार जा रहा हूं। तब वह कहने लगे कि घर पर चाय पीकर चले जाना। तब हम दोनों बिजनौर स्थित उनके रूम पर पहुंच गए और चाय नाश्ता करके मैं वापस हरिद्वार के लिए यह सोचकर, कि हरिद्वार में जाम की स्थिति होगी, वाया बालावाली होते हुए रायसी रेलवे फाटक पर पहुंचा, तो पता चला कि यह रेलवे फाटक कार्य प्रगति पर होने के कारण तीन दिनों के लिए बंद है। मैं रायसी से वापस कुड़ी, महाराजपुर, निरंजनपुर एवं शाहपुर गांव होते हुए हरिद्वार पहुंच गया। मैं सीधा श्री कबीर आश्रम ऋषिकुल हरिद्वार पहुंचा, तो देखा शोभायात्रा तब तक वापस आश्रम तक नहीं आई थी। मैं आश्रम में इंतजार कर एवं वहीं पर दोस्तों के साथ बातचीत करके समय व्यतीत किया। तब तक शोभा यात्रा भी आश्रम पहुंच चुकी थी। इसके बाद आरती हुई, कुछ देर साथियों के साथ बातचीत करने के बाद मैं दूसरे आश्रम में चला गया, वहां पर भंडारे का कार्यक्रम था। मैंने साथियों संग भंडारे का आनंद लिया। और वापस रात्रि 8:00 बजे अपने घर आ गया। आज मैंने तीन प्रोग्राम अटेंड किया मैंने पाया, कि बिजनौर के दोनों कार्यक्रम भव्य रूप में संपन्न हुए। वहां के लोगों में उत्साह देखा गया। लोग दूर-दूर से शोभायात्रा में पहुंचे थे। ऐसा पहली बार देखने को मिला था कि इतनी बड़ी संख्या में भुइयार समाज के लोग एक स्थान पर एकत्रित हुए थे। प्रशासन में भी इसका संदेश जरूर पहुंच गया होगा। भुइयार समाज के जलसों में इस तरह की भीड़ 1990 के दशक या उससे पहले मिला करती थी, या फिर भुइयार एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा प्रारंभ किया गया, मेधावी छात्र-छात्राओं के सम्मान समारोह में इतनी भीड़ देखने को मिलती है। बिजनौर जनपद में निवास करने वाले भुइयार समाज के लोगों के लिए यह सुखद शुरुआत थी। इसके लिए आयोजक मंडल ने दिन-रात की मेहनत की थी, तब यह मुकाम पाया है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आगे भी बिजनौर निवासी इसी तरह से सदगुरु कबीर जन्मोत्सव मनाते रहेंगे। जिससे जनपद बिजनौर वासियों के साथ-साथ दूसरे जनपदों में निवास करने वाले भुइयार एवं कोरी समाज के लोग भी धर्म लाभ उठाते रहेंगे।
दयाराम सिंह भामड़ा
हरिद्वार
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