Monday, July 31, 2023

Bhuiyar Educational Welfare society Bijnor 30

प्रेस विज्ञप्त —--------- भुइयार एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी की ओर से आयोजित नौवें प्रतिभा सम्मान समारोह में भुइयार समाज के करीब 150 मेधावी छात्र छात्राओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि दिल्ली एम्स की वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर अंबिका सिंह ने छात्र छात्राओं से कहा कि जिस विषय में उनकी रूचि हो वही काम करें। आप जो भी दिशा चुनेंगे वह आपके जीवन में अहम होगी। रविवार को बिजनौर नगर के एक बैंक्विट हॉल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया। मुख्य अतिथि डॉक्टर अंबिका सिंह ने छात्र-छात्राओं का उत्साह वर्धन किया, कहा कि सफलता एकदम नहीं मिलती इसलिए असफल होने पर निराश ना हो। छोटी छोटी चीजों को भी सफलता में अहम भूमिका होती है। इन्हें अनदेखा न करें। उन्होंने कहा कि अपनी स्वीकृति को त्यागे नहीं। बुजुर्गों का सम्मान करें, बुजुर्गों को भी युवाओं के भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। अति विशिष्ट अतिथि पूर्व सहायक निदेशक सुशील कुमार ने कहा कि सफलता मुश्किल नहीं होती, लेकिन इसके लिए सही दिशा में मेहनत करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में अधीक्षक कस्टम सुरेंद्र सिंह, अधिशासी अभियंता यशपाल सिंह, अधीक्षक जीएसटी के पी सिंह वरिष्ठ धावक देशराज सिंह पूर्व प्रबंधक पीएनबी के पी सिंह, प्रधानाचार्य आईटीआई नंदकिशोर, डालचंद भुइयार, सहायक लेखा प्रबंधक विनोद कुमार, सुरेश चंद्र भुइयार, प्रवक्ता डाइट जगदीश सिंह, मेहर सिंह ठेकेदार, यशपाल सिंह, सूरत सिंह, आदि ने छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन किया। इंटर सीबीएसई आईसीएसई बोर्ड में अच्छे अंक पाने वाले आर्यन, खुशी सिंह एवं कृतिका यूपी बोर्ड में आयुष कुमार, प्रिंस पवार एवं अनुज कुमार हाई स्कूल सीबीएसई आईसीएसई बोर्ड में इशिका देशवाल, सुदित श्रीमाली एवं वैभव कुमार यूपी बोर्ड में विवेक कुमार, आर्यन कुमार एवं गायत्री सिंह को क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के रूप में ₹5100, rs2100 एवं ₹1100 का नकद पुरस्कार भी दिया गया। साथ-साथ सामान्य ज्ञान की पुस्तक, स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र प्रधान किए गए। इसके अतिरिक्त विशाल कुमार, वंशिका, विनीता, कीर्ति उपरवाल, कपिल कुमार, शिवानी, अक्षय कुमार, तनु रानी, संध्या, मोना आदि बच्चों को भी कार्यक्रम में पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बीएचईएल हरिद्वार से आए दयाराम सिंह भामरा पूर्व उप प्रबंधक (वित्त) ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सभी बच्चों को मेहनत एवं लगन से अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक प्रत्येक बच्चा मेहनत नहीं करेगा, तब तक वह सफल नहीं हो सकता। समारोह में टीकम सिंह, गुरदास भुइयार, हरि प्रकाश भुइयार, राहुल कुमार भुइयार, राजेंद्र सिंह भुइयार, पंकज कुमार भुइयार, उमेश कुमार भुइयार, गिरिराज सिंह भुइयार, तेजपाल सिंह भुइयार, मनोज कुमार भुइया, राधेश्याम भुइयार, नरेंद्र कुमार आदि का सराहनीय सहयोग रहा। समारोह का संचालन अध्यक्ष राजेंद्र कुमार एवं केशव शरण ने किया।

Thursday, December 8, 2022

संस्मरण: आगरा यात्रा

लगभग 41 वर्ष बाद हमारे कक्षा 10 के गुरुजी श्री रोहताश सर जोकि हमें मैथ एवं फिजिक्स पढाते थे, 21 नवंबर 2021 को उनके निवास स्थान नजीबाबाद में मुलाकात हुई।इस मुलाकात के दौरान मैंने सर से श्री पंकज कुमार अस्थाना सर के बारे में पता किया जो कि 1979-80 में हमें केमिस्ट्री पढ़ाते थे। अस्थाना सर का स्वभाव बहुत ही सरल था। रोहताश सर ने बताया कि अस्थाना सर रामपुर (बिजनौर) से स्थानांतरित होकर आगरा चले गए थे। वहां पर ही वे प्रमोट होकर प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत्त हो गए थे, और आगरा में ही आवास विकास कॉलोनी में अपना मकान बनाकर रह रहे हैं। मैंने रोहताश सर से अस्थाना सर का मोबाइल नंबर ले लिया। घर आकर उनसे मोबाईल पर संपर्क किया, मैंने अस्थाना सर को अपना पूरा परिचय देते हुए बताया, कि मैं आपसे 1979 एवं 1980 में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रामपुर (बिजनौर) में क्रमश: कक्षा 9 एवं 10 में शिक्षा ग्रहण कर चुका हूँ। मैं आपसे मिलना चाह रहा हूँ। हालांकि 41 वर्ष बाद वह मुझे पहचान नहीं पाए। परंतु उस मुलाकात के बाद में उन से लगातार संपर्क में रहा। मेरा मन उनसे मिलने का बहुत था। मैंने सोचा कि आगरा जाने पर दो कार्य पूर्ण होंगे प्रथम तो अस्थाना सर के दर्शन हो जाएंगे, दूसरे आगरा शहर के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण भी हो जाएगा। जिसमें मुख्य रुप से आगरा ताजमहल एवं बुलंद दरवाजा फतेहपुर सीकरी है। इस मुलाकात को कई महिने बीत चुके थे। इसी बीच में घर पर कुछ पुराने पत्र देख रहा था उन पत्रों में एक पोस्टकार्ड पर मेरी नजर गई, जिसमें 3 सितंबर 1981 की तारीख अंकित थी,और वह मुझे संबोधित करते हुए अस्थाना सर द्वारा प्रेषित किया गया था। उस समय मैं कक्षा 12 में हिंदू इंटर कॉलेज किरतपुर (बिजनौर) में अध्ययनरत था। उस कार्ड पर अस्थाना सर के हस्ताक्षर भी अंकित थे। अब सर को याद दिलाने का एक अच्छा प्रमाण मेरे को मिल चुका था, मैंने उस पोस्ट कार्ड की फोटो खींचकर सर के व्हाट्सएप नंबर पर पोस्ट करते हुए लिखा, कि सर यह पत्र आपके द्वारा लिखा गया है। जब अस्थाना सर ने पत्र देखा तो वह मुझे पहचान गए थे, और उनका तुरंत ही व्हाट्सएप पर रिप्लाई आया कि “वाह 41 साल पहले की यादें! आप आगरा निसंकोच परिवार सहित घुमने आ जाओ, अच्छा लगेगा।“ बस तभी से मन में आगरा जाने का प्लान बन गया। मैंने सर से आगरा के मौसम के बारे में बात की कि किस मौसम में घूमना अच्छा रहेगा। सर ने बताया कि वैसे तो आपका जब मन करे तब आ सकते हो, परंतु नवंबर से मार्च का मौसम आगरा घूमने के हिसाब से अच्छा रहता है। मार्च 2022 का महीना भी बीत चुका था परंतु आगरा जाने का कार्यक्रम नहीं बन पाया। फिर मई-जून की गरमी के कारण नहीं जा पाया। मैं धीरे-धीरे नवंबर महीने का इंतजार करता रहा। अक्टूबर आने पर मौसम में बदलाव आ गया बारिश का मौसम हो गया। मैंने सोचा कि नवंबर के महीने में भी यदि ऐसा ही मौसम रहा तो बहुत मुश्किल होगी। धीरे-धीरे अक्टूबर 2022 का महीना भी बीत गया और नवंबर महीने प्रारम्भ हो गया। मैंने अस्थाना सर से बात की कि इस महीने में आगरा आना ठीक रहेगा, तब उन्होंने कहा कि यह मौसम आगरा भ्रमण का सबसे अच्छा मौसम है। धूप भी थोड़ी गुनगुनी हो गई थी सुबह और शाम का मौसम थोड़ा ठंडा था। मैंने अपनी धर्मपत्नी जी से आगरा चलने के लिए कहा तो उन्होंने साथ चलने में असमर्थता जताई। मैंने कहा ठीक है तो मैं ट्रेन में अपना रिजर्वेशन करा देता हूं। मैंने 13 नवंबर 2022 दिन रविवार का हरिद्वार रेलवे स्टेशन से उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन में रिजर्वेशन करा दिया। मेरा टिकट वेटिंग लिस्ट में था। टूर प्रोग्राम बना 13 नवंबर से 15 नवंबर तक। वहां पर होटल की बुकिंग भी करनी थी, अतः मैंने होटल की बुकिंग के बारे में हेमंत जी से बात की तो उन्होंने कहा कि इसके लिए आप निश्चिंत रहें, होटल की बुकिंग हो जाएगी। धीरे-धीरे 13 नवंबर का दिन भी आ गया।12 नवंबर 2022 की शाम को मोबाइल पर टिकट कन्फर्मेशन का मैसेज आ गया। साथ-साथ होटल का रूम भी कंफर्म हो गया। मैंने अपनी तैयारी एक दिन पहले ही कर ली थी। ट्रेन सुबह 6:54 बजे की थी। मैंने बेटा गौरव से सुबह हरिद्वार स्टेशन पर अपनी गाड़ी से छोड़ने के लिए बोल दिया। अगले दिन यानी 13 नवंबर की सुबह मैंने अपना सारा कार्य जल्दी निपटा लिया और बैग लेकर बेटे गौरव के साथ सुबह 6:15 बजे हरिद्वार स्टेशन के लिए घर से निकल पड़ा। सुबह 6:45 पर मैं हरिद्वार रेलवे स्टेशन पहुंच चुका था। सुबह-सुबह थोड़ी ठंड थी, मैंने स्टेशन पर पहुंच कर अपने कंपार्टमेंट की स्थिति के बारे में पता किया तो पता चला कि A1 कंपार्टमेंट ट्रेन के पीछे वाले हिस्से में आयेगा। मैं प्लेटफार्म नंबर एक के पीछे की ओर जाकर खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद ट्रेन लगभग 20 मिनट देरी से हरिद्वार स्टेशन पर पहुंच गई। मैंने अपनी बर्थ पर अपना बैग रखा और आराम से लेट गया। हरिद्वार स्टेशन से ट्रेन 7:20 बजे दिल्ली के लिए रवाना हो गई। दोपहर 12:00 बजे पर हमारी ट्रेन वाया मेरठ होते हुए, हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पहुंच गई। फरीदाबाद स्टेशन आने के बाद मैंने भोजन किया जो मैं साथ में ही लाया था। सफर अच्छा लग रहा था। ट्रेन में समय बिताने के लिए मैं समय–समय पर मोबाइल चैटिंग कर लेता था। इस प्रकार हमारी ट्रेन ने मथुरा जंक्शन को 3:15 बजे पार कर लिया। लगभग एकघंटे बाद ट्रेन ने राजा की मंडी स्टेशन पार कर लिया। यह स्टेशन आगरा सिटी का ही स्टेशन है। आगरा कैंट रेलवे स्टेशन आने ही वाला था, साथ-साथ मेरा रोमांच भी बढ़ने लगा था। मुझे इसी स्टेशन पर उतरना था। सायं 4:25 पर ट्रेन आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर रुक गई, मैंने अपना बैग उठाया और स्टेशन से बाहर आ गया। स्टेशन से सीधे भावना क्लार्क इन होटल में जाना था, जो कि आवास विकास के सेक्टर-16B में स्थित था। स्टेशन से बाहर आने पर मैंने होटल के लिए टैक्सी लेकर आधे घंटे में मैं होटल पहुंच गया। मैंने होटल में चेक-इन किया और अपने रूम 215 जोकि चौथी मंजिल पर था। मेरा सामान होटल के कमरे में पहुंचा दिया गया। रूम पर पहुंचकर मैंने अपने आने की सूचना अस्थाना सर को दे दी और उन्हें बता दिया कि मैं भावना क्लार्क होटल में रुका हुआ हूं। इस बात से सर थोड़ा नाराज भी हुए कि आपने होटल में क्यों स्टे किया है। आपको घर आना चाहिए था और यहां पर ही रहना चाहिए था। मैंने सर से कहा कि अब तो मैं होटल का रूम ले चुका हूं। मैंने सर से मिलने का प्लान बनाया और उनको भी इस बारे में अवगत करा दिया कि मैं अभी आपके पास आ रहा हूं। उन्होंने मुझे अपने घर का पता पहले ही भेज दिया था। सर का निवास स्थान होटल से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर था। मैं होटल से निकल निकला और पैदल ही शिवालिक कैंब्रिज स्कूल की लोकेशन पर चल दिया। मैंने सोचा पैदल चलने पर एक तो लोकेशन का पता रहेगा, दूसरे मार्केट से होते हुए चलना भी अच्छा रहेगा। लगभग 10 मिनट बाद मैं शिवालिक कैंब्रिज स्कूल पर पहुंच गया, वहां पहुंच कर मैंने सर के घर का पता एक दुकानदार से मालूम किया। उन्होंने मुझे सही पता बताते हुए लोकेशन बता दी और मैं 5 मिनट में ही सर के दरवाजे पर पहुंच गया। मैंने सर को देखते ही पहचान लिया था। सर ने भी मुझे पहचान लिया था काफी देर तक हमारी स्कूल टाइम की पुरानी बातें होती रही। उन्होंने अपने बारे में भी विस्तार से बताया कि “मैं रामपुर (बिजनौर) से जुलाई 1985 में स्थानांतरित होकर आगरा बीटीसी कॉलेज आगरा (वर्तमान में डाइट कॉलेज कहलाता है) अपनी सेवाएं देने आ गया था। इसके बाद 1995में राजकीय इंटर कॉलेज आगरा में अपनी सेवाएं दी| इसी के साथ मेरा प्रमोशन 2013 में प्रैंसिपल के पद पर हो गया और 2013 में ही सेवा मुक्त होकर रिटायर्ड जीवन जी रहा हूँ।“ बातचीत के दौरान ही चाय नाश्ता किया। मैंने सर के सम्मान में उन्हें हरिद्वार से लाया हुआ शॉल ओढाकर उनसे आशीर्वाद लिया। सर खाने के लिए बार-बार जोर देते रहे हैं, परंतु मैंने कहा कि सर मेरा खाना होटल में ही है। मैंने सर से लगभग दो घंटे बाद विदाई ली और वापस होटल में आ गया। मैंने होटल में ही रात्रि भोजन किया और अपने रूम पर जाकर अगले दिन की रूपरेखा बनाने में व्यस्त हो गया। जब मैं हरिद्वार से आगरा के लिए चला था तो हमारे साथी श्री साहिब लाल जी जो कि आगरा सिटी के ही निवासी हैं, उनसे मुख्य-मुख्य स्थलों के नाम एवं लोकेशन लेकर आया था। मैंने उनके द्वारा बताए, स्थलों के अनुसार ही देखने प्लान बनाया। मेरे पास भ्रमण करने का केवल एक दिन का ही समय था। मैंने मुख्य-2 स्थलों पर भ्रमण करने का प्लान बनाया। सबसे पहले विश्व प्रसिद्ध ताजमहल, आगरा फोर्ट, एत्माद्दौला का मक़बरा एवं फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा का रोडमैप तैयार कर लिया। इन सभी स्थलों पर घूमने के लिए टैक्सी करना जरूरी था। यह सब होने के बाद में रात्रि विश्राम के लिए सो गया। अगली सुबह मैं जल्दी उठकर तैयार होकर होटल में नाश्ता करके होटल से बाहर आ गया। एक टैक्सी ड्राइवर से बात की और उसको अपना प्लान बताया। टैक्सी ड्राइवर से बात हुई और हम सुबह 8:00 बजे ताजमहल देखने के लिए निकल पड़े। लगभग आधे घंटे में हम ताजमहल के प्रवेश द्वार पर पहुंच गए। टिकट खिड़की पर थोड़ी भीड़ थी फिर भी टिकट मिलने में अधिक परेशानी नही हुई। टिकट लेने के बाद अंदर प्रवेश किया तो रोमांच बढ़ने लगा, सोच रहा था कि अभी तक ताजमहल केवल किताबों या फोटो में ही देखा था। आज वह समय आ गया है कि ताज के दीदार हो गये। प्रवेश द्वार पर थोड़ी भीड़ थी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। गेट पर हमारी तलाशी ली गई। अंदर जाने पर ताज के मुख्य दरवाजे की कलाकृति देखने लायक थी। अंदर प्रवेश करने पर मैंने काफी फोटोग्राफी की। ताज का दृश्य देखने लायक था, यह दुनिया के सात अजूबों में शामिल है। पूरी इमारत सफेद संगमरमर से बनी हुई है जोकि अष्टकोणीय इमारत है। इसके चारों कोनों पर चार मीनार बनी है। अंदर दाखिल होने पर कारीगरी का नायाब नमूना देखने को मिलता है।ताजमहल के केंद्र में मुमताज महल एवं शाहजहां की कब्र बनी हुई है। जो कब्र पर्यटकों के लिए खोली गई है वह प्रतीकात्मक कब्र है। असली कब्र तहखाने में है, वहां पर किसी के जाने की अनुमति नहीं है। ताजमहल की बिल्डिंग से बाहर आकर मैंने ताज संग्रहालय देखा। वहां पर कुछ बेशकीमती पत्थर जो कि ताजमहल बनाने में काम आए, कुछ हथियार, मुद्राएं, जमीन की रजिस्ट्री, एवं ताजमहल मॉडल आदि देखकर मैं लगभग 10:30 बजे बाहर आ गया। टैक्सी ड्राइवर मेरा बाहर इंतजार कर रहा था। मैंने वहां से टैक्सी ली और सीधे चले गए मुमताजमहल के दादा मिर्ज़ा ग्यासबेग और उसकी पत्नी अस्मत बेगम की कब्र पर। यह मकबरा यमुना नदी के पूर्वी तट पर स्थित है और “एत्मादुद्दौला का मकबरा” नाम से मशहुर है। यह भी सफेद संगमरमर से बना है। यह बिल्डिंग भी कारीगरी का नायाब नमूना है। एत्मादुद्दौला का मकबरा देखने के बाद जब मैं बाहर आया तो दोपहर के 12:00 बज चुके थे। मैंने हल्का नाश्ता किया और आगरा फोर्ट देखने का विचार बनाया, परंतु टैक्सी ड्राईवर ने कहा कि यदि हम आगरा फोर्ट देखते है तो फतेहपुर सिकरी जाने का समय कम रह जाएगा। फतेहपुर सीकरी आगरा से लगभग 40 किलोमीटर दूर है। अत: हमने आगरा फोर्ट देखने का विचार त्याग दिया। हमने अपनी टैक्सी फतेहपुर सीकरी की ओर मोड़ दी और एक घंटे बाद हम फतेहपुर सीकरी पहुंच गए। टैक्सी ड्राईवर ने कहा, कि यहां पर गाइड करना अच्छा रहेगा। हमने एक गाइड साथ लिया और अकबर के किले में दाखिल हो गए। गाइड ने हमें विस्तार से बताते हुए बताया, कि किले के मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश करने पर सर्वप्रथम दीवाने आम था। इस स्थान पर बैठकर अकबर आम लोगों की फरियादे सुनता था। यदि कोई गलती करता था तो उसे हाथियों द्वारा रौंदकर मार दिया जाता था। प्रांगण में एक बहुत भारी पत्थर जो कि कड़े घूमा था गड़ा हुआ था। गाइड ने बताया कि इसी पत्थर से हाथी को बाँधकर रखा जाता था। इसके बाद दीवान-ए-खास का प्रांगण था। जिसमें अकबर का शयनकक्ष, रसोई एवं अकबर की रानियों के अलग-अलग महल थे। जिसमें अकबर की एक पत्नी जिसका नाम जोधाबाई था उसका महल सबसे बड़ा था। अंदर ही संगीत की महफिल लगती थी। यह किला देखने के बाद हम बुलंद दरवाजा देखने गये। यह दरवाजा पूरी दुनिया में सबसे बड़ा दरवाजा है यहां पर अकबर के गुरु शेख सलीम चिश्ती की कब्रगाह है। फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा देखने के बाद हम वापस आगरा आ गए। तब तक चार बज चुके थे, मैं भी थोड़ा थक गया था। मैंने टैक्सी ड्राइवर से कहा कि यदि आस पास कोई स्थान देखने योग्य हो तो उसे देख लेते हैं, तब उसने कहा कि पांच बजे तक सब स्थल बंद हो जाते हैं। तब मैंने कहा कि ठीक है अब यह बताओ कि पंछी पेठा कहां पर मिलता है। तब उसने उस जगह का नाम बताया जहां पंछी पेठे की दुकान थी। मैंने उससे कहा कि चलो उस दुकान पर चलते हैं। उसने टैक्सी पेठे की दुकान की ओर दौड़ा दी और कुछ ही देर में हम दुकान पर पहुंच गए। मैंने वहां से पेठा खरीदा और वापस होटल आ गया।होटल आकर मैंने सर्वप्रथम कल वापसी के लिए उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन में टिकट बुक किया। मैंने रात्रि भोजन किया और थका होने के कारण जल्दी ही सो गया। अगले दिन में ट्रेन का समय 9:25 बजे था। मेरा टिकट भी कंफर्म हो गया था। मैंने सुबह उठकर जल्दी तैयार होकर सुबह 7:30 बजे ही होटल में नाश्ता किया और रिसेप्शन पर होटल का बिल बनाने के लिए बोल दिया। मैं होटल से चेक-आउट की प्रक्रिया कर ही रहा था, कि इसी बीच हरिद्वार से भाई विनीत जी का फोन आ गया। विनीत जी पुछने लगे कि आप कहां पर हो, मैंने विनीत जी को बताया कि मैं इस समय आगरा के एक होटल में हूं और वापसी के लिए चेक आउट कर रहा हूं। विनीत जी ने बताया कि आपसे पी. आर. सिंह जी बात करना चाह रहे हैं वे आगरा में ही रहते हैं और बिजनौर के निवासी हैं। उन्होंने आपकी फेसबुक पोस्ट देखी है कि आप आगरा में ही हैं। यह फेसबुक पोस्ट मैंने एक दिन पहले ही रात्रि के समय डाली थी,जिसमें आगरा ताजमहल के फोटों अपलोड किए थे। विनीत जी ने बताया कि मैं आपको उनको मोबाईल नम्बर भेज रहा हूँ आप उनसे बात कर लेना। विनीत जी ने उनका नंबर दे दिया। मैंने पी. आर. सिंह जी से बात की, बात करने पर पता लगा कि वह बहुत ही सामाजिक एवं मिलनसार शख्सियत है। उन्होंने कहा कि आपको घर आना है। मैंने कहा कि मेरी ट्रेन सुबह 9:25 पर आगरा कैंट से है और अब 8:30 बज चुके हैं। मुझे स्टेशन भी पहुंचना है,समय अभाव के कारण मैं आपके घर कैसे आ सकता हूं? मैंने भाई पी. आर. सिंह जी से निवेदन किया कि मैं जब अगली बार आगरा आऊंगा, तब आपसे जरूर मिलूंगा। इस पर भाई पी. आर. सिंह जी ने कहा कि मैं आपकी ट्रेन ऑनलाईन देखकर बताता हूँ कि ट्रेन कितनी लेट चल रही है? थोड़ी देर बाद उन्होंने बताया कि ट्रेन दो घंटे लेट है। ट्रेन 11:30 के आस पास आएगी, आप निश्चिंत होकर घर पर आ जाओ। उन्होंने मुझे अपने घर का पूरा पता व्हाट्सएप कर दिया। उन्होंने बताया कि जहां पर आपका होटल है वहां से राजा की मंडी स्टेशन पास पड़ेगा। राजा की मंडी स्टेशन से ही ट्रेन पकड़ लेना। मन में यह सोचकर कि कहीं ट्रेन ना छुट जाये मैं ऑटो पकड़ कर राजा की मंडी रेलवे स्टेशन पहुंच गया। तभी भाई पी. आर. सिंह जी का फोन कॉल फिर आया और पुछने लगे कि आप कहां पर पहुंच गए हैं? मैंने कहा कि मैं राजा की मंडी रेलवे स्टेशन पहुंच गया हूं। तब उन्होंने कहा कि आपकी ट्रेन और भी लेट हो गई है। आप आराम से घर पर जाकर खाना खाकर ट्रेन पकड़ सकते हो। इस पर मैंने स्टेशन पर ट्रेन के बारे में पता किया तो बताया की ट्रेन दोपहर 12:00 बजे के बाद ही आएगी। मैं स्टेशन से बाहर आया और वहां से ई-रिक्शा लेकर भाई पी. आर. सिंह जी के घर पहुंच गया। वहां पर भाभी जी मेरा इंतजार कर रही थी। घर पर भाई पी. आर. सिंह जी तो नहीं थे वह अपनी साइट पर गए हुए थे। घर पर बच्चे भी नहीं थे, बस उनके पिताजी थे। मैंने वहां पर चाय नाश्ता किया। बातचीत हुई मैंने पाया कि भाभी जी एक सामाजिक महिला है। उनके पिता जी से भी मुलाकात हुई, उनके पिताजी को मैं जानता था। भाभी जी ने फटाफट सब्जी-पूरी बनाकर रास्ते के लिए पैक कर दी। मैं वहां पर लगभग एक घंटे रुका। इस अल्प समय में मैंने पाया कि परिवार बहुत ही मिलनसार एवं सामाजिकता से परिपूर्ण है। मैं एक घंटा रुकने के बाद वापस राजा की मंडी रेलवे स्टेशन आ गया। मेरी ट्रेन दोपहर के 12:30 बजे के बाद आई। मैंने अपना बैग उठाया और ट्रेन में अपनी बर्थ पर जाकर बैठ गया। इस प्रकार रात्रि 10:30 बजे ट्रेन हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई। मैंने बेटे गौरव को फोन कर स्टेशन पर बुला लिया और रात्रि 11:00 बजे मैं वापस अपने घर पहुंच गया। यात्रा का पूरा आनंद आया। आगरा की ऐतिहासिक इमारतों का दीदार हुआ। खास बात यह रही कि अस्थाना सर से विलक्षण भेंट हुई, जो कि लगभग 41 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद हो पाई। यह अनुभव एक सुखद अनुभव रहा। DAYA RAM SINGH BHAMRA HARIDWAR