Thursday, April 27, 2017

History of Bhuiyar Dharmshala Haridwar (भुइयार धर्मशाला देवपुरा, ऋशिकुल, हरिद्वार,का इतिहास)

भुइयार धर्मशाला देवपुरा हरिद्वार,का इतिहास

-          सन 1950 में भुइयार / कोरी समाज के पांच व्यक्तियों ने समाज का आश्रम बनाने के लिए 1605 वर्ग फुट जमीन खरीद कर एक कमरा एवं बरामदा बनवाकर महंत बिरबल दास जी को आश्रम में महंत के रूप में रखा |
-          महंत बिरबल दास के बाद आश्रम के महंत रणजीत दास जी रहे |
-          महंत रणजीत दास के बाद 1976 से 1980 तक महंत भगवान दास जी आश्रम के महंत रहे |
-          महंत भगवान दास जी के बाद आश्रम में एक संस्था बनाई गई जिसका नाम गद्दी कबीर साहेब रखा गया | सन 1980 से 1984 तक आश्रम के प्रबन्धक के रूप में श्री रतन दास जी तथा अध्यक्ष के रूप मे श्री लोतीराम जी (सहारनपुर) रहे |
-          सन 1982 से 1984 तक संस्था के अध्यक्ष प्र0 मोल्हड़ सिंह रहे |
-          सन 1984 से 1986 तक संस्था के अध्यक्ष श्री जगपाल सिंह रहे |
-          सन 1986 में श्री सूरजमल (बिजनौर) एवं श्री नाथा सिंह (सहारनपुर) ने आश्रम में एक दूसरी समानांतर संस्था का गठन किया, जिसका नाम कबीरपंथी आश्रम एवं धर्मशाला व्यवस्था सभा हरिद्वार रखा गया | जिसके अध्यक्ष  श्री सूरजमल एवं महंत श्री सीताराम नांगल (बिजनौर) को नियुक्त किया गया |
-          सन 1986 के कुम्भ मेले के बाद उपरोक्त तीनों व्यक्तियों ने मिलकर आश्रम की जमीन का लगभग आधा हिस्सा (दक्षिण भाग) बेचने की साजिश की | इस हिस्से में आश्रम के प्रथम महंत बिरबल दास जी की समाधि थी | इस समाधि को  उपरोक्त तीनों व्यक्तियों द्वारा तोड़ दिया गया एवं दो दुकानों को  किराए पर भी दे दिया गया | किराएदार द्वारा आश्रम की दुकान पर कब्जा करने की कोशिस की गई| समय -2 पर समाज के व्यक्तियों की  किराएदार से झड़प होती रही | इस घटना के बाद समाज में अविश्वास की भावना पैदा हो गई तथा आश्रम इसी तरह से लावारिस पड़ा रहा |
-          सन 2005 में समाज के कुछ शरारती लोगों ने खाली पड़ी जमीन को फिर बेचने की साजिश रची परंतु समाज के जागरुक लोगों ने इस साजिश का पर्दाफाश करते हुए एक ट्रस्ट का निर्माण किया जिसका नाम श्री कबीर आश्रम धर्मार्थ ट्रस्ट समिति (रजि0) रखा | ट्रस्ट को तहसील हरिद्वार एवं चिट्ट फंड सोसायटी देहरादून से पंजीकृत कराया गया | जिसके अध्यक्ष श्री कैलाश चन्द (हरिद्वार) नियुक्त किए गए |

-          आश्रम की जमीन की (लगभग आधा हिस्सा उत्तरी भाग) रजिस्ट्री 2007 में ट्रस्ट के नाम से कर दी गई |
-          18 जून, 2008 को कबीर साहेब जी के जन्म दिन के अवसर पर भुइयार (Bhuiyar) / कोरी (Kori) समाज के व्यक्तियों द्वारा संत कबीर साहेब जी के जन्म दिन के अवसर पर एक बैंड्बाजों एवं झांकियों के साथ शोभायात्रा निकाली जा रही थी, इस शोभायात्रा में लगभग दो से ढाई हजार पुरूष, महिला एवं बच्चे शामिल थे जैसे ही शोभायात्रा का जुलूस धर्मशाला के पास पहुंचा और शोभायात्रा में शामिल व्यक्ति झण्डा फहराने के लिए धर्मशाला के गेट पर एकत्रित हुए तभी कब्जाधारी व्यक्ति ने भुइयार / कोरी समाज के व्यक्तियों से झगड़ा और गाली गलौच करने लगा| उस समय लोगों में अफरा तफरी मच गई एवं उपस्थित नौजवानों में गुस्सा भर गया, जय कबीर के नारे लगाते हुए नौजवान उस कब्जायुक्त ढांचे पर चढ़ गये और जिसके जो हाथ लगा उससे तोड़-फोड़ शुरू कर दी जिससे उस समय उपस्थित भीड़ में इस घटना से जोश भर गया और देखते ही देखते कब्जा किए गये भवन-दुकान को चंद मिनटों में ही नेस्ता नाबूद कर दिया। ये खबर हरिद्वार में आग की तरह पुरे शहर में फैल गई और देखते ही देखते भारी पुलिस बल कबीर आश्रम पर आ पहुंचा और कबीर आश्रम को चारों ओर से घेर कर भुइयार / कोरी समाज के बहुत सारे निर्दोष व्यक्तियों को अरेस्ट कर लिया गया । जिसमें समाज के 12 व्यक्ति जेल चले गए | इन लोगों पर अलग-२ धाराओं में मुकदमें चलाये गये परंतु बाद में कोर्ट ने इन लोगों को बा-इज्जत बरी कर दिया| इस प्रकार  आश्रम के लगभग आधे हिस्से (उत्तरी भाग) को कब्जा मुक्त कराकर खाली करा लिया गया| जब भुईयार एवं कोरी समाज के नौजवान लड़के उस ढांचे को तोड़ रहे थे तो उस समय जो बुज़ुर्ग व्यक्ति थे वे ये नही समझ पा रहे थे कि क्या किया जाये? लड़कों को किस तरह रोका जाये। इस घटना के मेरे अलावा कई लोग चश्मदीद गवाह थे।  अगले दिन 19 जून, 2008 के हरिद्वार के समाचार पत्रों में इस घटना की खबर प्रमुखता से छापी गयी। इस प्रकार आश्रम को खाली करा लिया गया। 
-          सन 2009 में ट्रस्ट का विधिवत चुनाव कराया गया, जिसमें श्री जैय सिंह जी (सहारनपुर) अध्यक्ष पद पर नियुक्त किए गए |  
-          ट्रस्ट की एक बैठक में दयाराम सिंह भामड़ा नें सुझाव दिया कि पुराने भवन को तोड़कर नया भवन बनाया जाये । इस सुझाव पर अमल करते हुए, 28-04-2010 में आश्रम (उत्तरी भाग) का नया दो मंजिला भवन का शिलान्यास दयाराम सिंह भामड़ा, श्री जय सिंह एवं श्री करनपाल सिंह के करकमलों द्वारा किया गया। आश्रम के लगभग आधे हिस्से (दक्षिण भाग) की जमींन पर जिसमें प्रथम महंत बिरबल दास जी की समाधि भी है, उस जमींन पर कोर्ट मे केश चल रहा है जो कि अभी कोर्ट में लम्बित हैं हम भुइयार (Bhuiyar) / कोरी (Kori) समाज के लोग आशा करते है कि कोर्ट का फसला श्री कबीर आश्रम के पक्ष होगा, क्योंकि भुइयार (Bhuiyar) / कोरी (Kori) समाज के लोगों की आस्था संत कबीर साहेब एवं महंत बिरबल दास जी से जुडी हुई है जिनकी समाधि इसी जगह बनी हुई है।  
-        ट्रस्ट द्वारा मई, 2010 में पुराने भवन को तोड़कर आश्रम (उत्तरी भाग) में नया दो मंजिला भवन का निर्माण कराया गया है | भवन निर्माण के लिए ट्रस्ट के सदस्यों द्वारा दो लाख रूपये तक का दान ट्रस्ट को दिया है | ट्रस्ट के कुल 205 आजीवन सदस्य हैं |
-          ट्रस्ट के नियमावली के अनुसार, आश्रम में केवल भुइयार अथवा कोरी समाज के व्यक्ति ही भाग ले सकते हैं, अन्य किसी समाज अथवा समुदाय के व्यक्ति भाग नही ले सकते | 

Bhuiyar Dharmshala Rishikul Haridwar

New building of Bhuiyar Dharmshala, Devpura, Rishikul Haridwar
Photo by: Daya Ram Singh Bhamra



 Daya Ram Singh Bhamra

Haridwar