Wednesday, May 31, 2017

बुनकरों (Bhuiyar) की अकबर के समय की स्थिति


1580 0 में मुगल बादशाह अकबर ने फारस से कुछ कालीन बुनकरों (Bhuiyar / Kori) को अपने दरबार में बुलाया था। इन बुनकरों ने कसान, इफशान और हेराती नमूनों के कालीनें अकबर को भेंट की। अकबर इन कालीनों से बहुत प्रभावित हुआ उसने आगरा, दिल्‍ली और लाहौर में कालीन बुनाई प्रशिक्षण एवं उत्‍पाद केन्‍द्र खोल दिये। इसके बाद आगरा से बुनकरो का एक दल जी0 टी0 रोड के रास्‍ते बंगाल की ओर अग्रसर हुआ। रात्रि विश्राम के लिए यह हल घोसिया-माधोसिंह में रूका। इस दल ने यहाँ रूकने पर कालीन निर्माण का प्रयास किया। स्‍थानीय शासक और बुनकरों (जुलाहों) के माध्‍यम से यहाँ कालीन बुनाई की सुविधा प्राप्‍त हो गयी। धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश के जुलाहे इस कार्य में कुशल होते गए। वे आस-पास की रियासतों मे घूम-घूम कर कालीन बेचते थे और धन एकत्र करते थे।

ईस्‍ट इण्डिया कम्‍पनी के व्‍यापारी इस कालीन निर्माण की कला से बहुत प्रभावित थे उन्‍होने अन्‍य हस्‍तशिल्‍पों का विनाश करना अपना दायित्‍व समझा था लेकिन कालीन की गुणवत्‍ता और इसके यूरोपीय बाजार मूल्‍य को देखकर इस हस्‍तशिल्‍प पर हाथ नहीं लगाया। 1851 में ईस्‍ट इण्डिया कम्‍पनी ने धीरे उत्तर प्रदेश के बने कालीनों को विश्‍व प्रदर्शनी में रखा जिसे सर्वोत्‍क्रष्‍ट माना गया। अर्न्‍तराष्‍ट्रीय बाज़ार में कालीन के 6 मुख्‍य उत्‍पादक हैं- ईरानचीनभारतपाकिस्‍ताननेपालतुर्की। नाटेड कालीन निर्यात का 90 प्रतिशत ईरान, चीन, भारत और नेपाल से होता है जिसमें ईरान 30 प्रतिशत, भारत 20 प्रतिशत और नेपाल का हिस्‍सा 10 प्रतिशत है। कालीन निर्यात का 95 प्रतिशत यूरोप और अमेरिका में जाता है। अकेले जर्मनी 40 प्रतिशत कालीन आयात करता है। उत्तर प्रदेश के कालीनो के निर्माण के सम्‍बन्‍ध में आश्‍चर्य जनक बात यह है कि यहा इस उद्योग का कच्‍चामाल पैदा नहीं होता। केवल कुशल श्रम की उपलब्‍धता ही सबसे बड़ा अस्‍त्र है। जिसके बल पर  उत्तर प्रदेश अपनी छाप विश्‍व बाज़ार में बनाए है।

Daya Ram Singh Bhamra


Monday, May 29, 2017

मेधावी छात्र-छात्राओं को भुईयार कर्मचारी समिति सम्मानित करेगी




भुईयार समाज जनपद बिजनौर की एक बैठक डिसेंट पब्लिक स्कूल में दिनांक 28.05.2017 को समप्पन हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि समाज के मेधावी छात्र-छात्राओं को भुईयार कर्मचारी समिति सम्मानित करेगी। अमर उजाला समाचार पेपर की एक खबर 

BHUIYAR DAYA RAM SINGH BHAMRA
HARIDWAR



Friday, May 26, 2017

महान वैज्ञानिक जॉन डाल्टन (Weaver-Family) से

Weaver-Family

जॉन डाल्टन (6 सितंबर1766 - 7 जुलाई1844) एक अंग्रेज़ वैज्ञानिक थे। इन्होंने पदार्थ की रचना सम्बन्धी सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जो 'डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त' के नाम से प्रचलित है।
डाल्टन का जन्म सन् 1766 में इंग्लैंड के एक गरीब जुलाहा-परिवार (Weaver-Family) में हुआ था। बारह वर्ष की आयु में उन्होंने एक शिक्षक के रूप में अपनी जीविका शुरू की। सात साल बाद वह एक स्कूल के प्रिंसिपल बन गए। सन् 1793 में जॉन कालेज में गणित, भौतिकी एवं रसायन शास्त्र पढ़ाने वेफ लिए मैनचेस्टर चले गए। वहाँ पर उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय शिक्षण एवं शोधकार्य में व्यतीत किया। सन 1808 में इन्होंने अपने परमाणु सिद्धांत को प्रस्तुत किया, जो द्रव्यों के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत साबित हुआ।
डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त
डाल्टन ने द्रव्यों की प्रकृति के बारे में एक आधारभूत सिद्धांत प्रस्तुत किया। डाल्टन ने द्रव्यों की विभाज्यता का विचार प्रदान किया जिसे उस समय तक दार्शनिकता माना जाता था। ग्रीक दार्शनिकों के द्वारा द्रव्यों के सूक्ष्मतम अविभाज्य कण, जिसे परमाणु नाम दिया था, उसे डाल्टन ने भी परमाणु नाम दिया। डाल्टन का यह सिद्धांत रासायनिक संयोजन के नियमों पर आधरित था। डाल्टन के परमाणु सिद्धांत ने द्रव्यमान के संरक्षण के नियम एवं निश्चित अनुपात के नियम की युक्तिसंगत व्याख्या की। डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार सभी द्रव्य चाहे तत्व, यौगिक या मिश्रण हो, सूक्ष्म कणों से बने होते हैं जिन्हें परमाणु कहते हैं।

Daya Ram Singh Bhamra
Social worker of Bhuiyar community
Haridwar

Who are Bhuiyar?

Bhuiyar

The Bhuiyar are an important artisan community some are weave cloths on handlooms and some are agriculturist. They live in Uttar Pradesh, Uttarakhand, Himachal Pradesh, Delhi, Haryana, Punjan,. The term of Bhuiyar is “Bhumi+Hara” it means Landless people. The Bhuiyar or Bhuyiar are listed as a Scheduled Caste (SC) under the provisions of the Indian Constitution. This grants them and other SCs many benefits like fixed, reserved quotas in government jobs, in admissions to various government-sponsored professional colleges and welfare schemes for economic and social improvement and reserved seats in parliament.

Daya Ram Singh Bhamra
Haridwar

Bhuiyar Community from North India
Photo: 08.05.1991

संत कबीर साहेब जी का जन्मोत्सव कें सम्बंध में बैठक

 भुइयार समाज द्वारा संत कबीर साहेब जी का ६१९वाँ जन्मोत्सव मनाने के उपल्क्ष में आयोजित भुइयार समाज की बैठक में श्री दयाराम सिंह भामड़ा जी अपने विचार रखते हुए । बैठक का आयोजन भुइयार धर्मशाला ऋषिकुल हरिद्वार में किया गया।

दयाराम सिंह भामड़ा
बिजनौर


भुइयार धर्मशाला (कबीर आश्रम) ऋषिकुल हरिद्वार

जिस प्रकार एक विशाल पर्वत शिखर मिट्टी के छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनता है। उसी तरह एक  बहु मंजिला भवन भी असंख्या ईंटों का परिणाम होता है। व्यक्तित्व के निखार में न जाने कितनी छोटी-छोटी बातों का योगदान होता है। भुइयार धर्मशाला (कबीर आश्रम) ऋषिकुल हरिद्वार का निर्माण भी इन्हीं बातों का परिणाम है। भुइयार धर्मशाला (श्री कबीर आश्रम) ऋषिकुल हरिद्वार का नया दो मंजिला भवन की स्थापना 28 अप्रैल 2010  दिन बुध्दवार को दयाराम सिंह भामड़ा (मूलनिवासी- बाहुपुरा, बिजनौर), श्री जय सिंह एवं श्री करनपाल सिंह के करकमलों द्वारा शिलान्यास कर किया गया। भुईयार धर्मशाला (कबीर आश्रम) वर्तमान में उत्तराखण्ड राज्य के जनपद हरिद्वार के ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज के पास स्थित है। भुइयार धर्मशाला (कबीर आश्रम) हरिद्वार की स्थापना करने हेतु श्री दयाराम सिंह एवं श्री जय सिंह जी को समाज के उत्सवों में विद्वानों के विचारों से प्रेरणा मिली। समय समय पर समाज के जलसे एवं उत्सवों में जाने से समाज के प्रबुध्द्जन इकठ्ठा हुए एवं आश्रम की स्थापना के बारे में विचार विमर्श  किया । इस तरह के विशाल उत्सवों में समाज उत्थान के लिए विद्वानों द्वारा प्रचार हुआ तथा अनेकों कार्यक्रम भी हुए।
इन उत्सवों में समाज के श्री दयाराम सिहं भामड़ा, श्री जय सिंह, श्री करणपाल सिंह समाज का गौरव को बढाने वाले व्याख्यान से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भुइयार धर्मशाला हेतु हजारों रूपये दान में दिये तथा श्री जय सिंह जी को श्री कबीर आश्रम धर्मार्थ ट्रस्ट (भुइयार धर्मशाला) ऋषिकुल हरिद्वार का अध्यक्ष बना दिया गया।  

भुइयार धर्मशाला हरिद्वार विकिपिडिया पर


दयाराम सिंह भामड़ा
बाहुपुरा (बिजनौर)

Friday, May 19, 2017

संत कबीर साहेब जी का जन्मदिन

साथियों आपको जानकर हर्ष होगा कि दिनांक 09 जुन 2017 दिन शुक्रवार को प्रात: 10 बजे से संत कबीर साहेब जी का जन्मदिन भुईयार धर्मशाला ऋषिकुल हरिद्वार में भुईयार / कोरी समाज द्वारा  बहुत ही हर्षोउलास से मनाया जायेगा । आप सभी सजातिय बंधुओं की उपस्थिति प्रार्थनीय है।
दयाराम सिंह भामड़ा
हरिद्वार